365 दैनिक भक्ति-परक लेख
परमेश्वर का वचन एक महिमामय वरदान है। हमारे पिता ने इसे हमें इसलिए दिया है, ताकि हम उसके पुत्र को जान सकें और उसके सत्य के प्रति आज्ञाकारिता में उसके आत्मा के सामर्थ्य में जी सकें। परमेश्वर का वचन वह सत्य है जिसकी आवश्यकता आपको और मुझे इस जीवन के प्रत्येक दिन के मार्गदर्शन के लिए और उस एकमात्र की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए है, जिसमें हम वह जीवन पाते हैं जो वास्तव में जीवन है।
“क्योंकि उसने अपनी इच्छा का भेद उस भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया, जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।” इफिसियों 1:9-10 जब आप एक नई इमारत के निर्माण को बाहर से देखते हैं, तो बाहर लगे… Read More
“पवित्रशास्त्र पर किसी भी प्रकार की लीपा-पोती नहीं की गई है। यह उन लोगों के जीवन की कहानियों को प्रस्तुत करता है, जिन्हें परमेश्वर ने चुना और उपयोग किया। यह न केवल उन लोगों के गुणों और अच्छे समयों के बारे में बताता है, बल्कि उनके पापों और बुरे समयों का भी विवरण देता है।”
“मसीही सोच रखने का अर्थ केवल मसीही बातों के बारे में ही सोचना नहीं है, बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम बाइबल को अपने पाँव के लिए दीपक और हमारे मार्ग के लिए उजाला बनने दें और यह सुनिश्चित करें कि पवित्रशास्त्र हमारे लिए वह ढांचा हो, जिसमें रहकर हम प्रत्येक वस्तु पर विचार करें।”
“हम अपने विचारों को पवित्रशास्त्र के अनुसार एक सुस्पष्ट और निश्चित तरीके से ढलने दें। केवल दो प्रकार के लोग ही अस्तित्व में हैं—धर्मी और दुष्ट। कोई तीसरा समूह है ही नहीं।”
“परमेश्वर जो करने का निश्चय करता है, उसे पूरा करने में वह पूर्णतः सक्षम है।”
“हमारे संसार की सारी घटनाएँ—बड़ी, छोटी, विचित्र, निरर्थक, या अत्यधिक पीड़ादायक—सब की सब परमेश्वर की सार्वभौमिक शक्ति के अधीन हैं।”
“सुसमाचार बहस या चर्चा का कोई विषय नहीं है। सुसमाचार वह है, जो सुस्पष्ट स्वीकृति और विश्वास की मांग करता है।”
"भारतातील मंडळीला सत्यात आणि विश्वावासात वाढण्यास सुसज्ज करण्यासाठी पवित्र शास्त्र केंद्रित साहित्याचा अभ्यास करा."