“यीशु ने उस को उत्तर दिया, ‘परमेश्वर पर विश्वास रखो। मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, “तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़,” और अपने मन में सन्देह न करे, वरन् प्रतीति करे कि जो कहता हूँ वह हो जाएगा, तो उसके लिए वही होगा। इसलिए मैं तुम से कहता हूँ कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिए हो जाएगा।’” मरकुस 11:22-24
जब हम अपने बाइबल पढ़ते हैं, तो हमें कुछ पद ऐसे मिलते हैं जो सीधे और आसानी से समझ में आ जाते हैं। लेकिन दूसरी ओर, कुछ पद ऐसे भी होते हैं जिनके अर्थ को समझना हमारे लिए कठिन होता है।
यीशु कहता है, “जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो, तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिए हो जाएगा।” हम अक्सर इस तरह के वचनों को नजरअंदाज करने या फिर इन्हें सैकड़ों शर्तों और व्याख्याओं में लपेटने के लिए प्रलोभित होते हैं। ऐसे पदों का गलत उपयोग हम में से कुछ को इतना डरा चुका है कि हम उनमें छिपे हुए प्रोत्साहन और चुनौती पर ध्यान ही नहीं देते।
इस साहसी आज्ञा में यीशु ने अपने अनुयायियों को याद दिलाया कि वे परमेश्वर पर भरोसा करें, क्योंकि वास्तव में विश्वास का महत्व इसी में है कि वह परमेश्वर में स्थापित हो। हमें न तो अपने विश्वास पर, और न ही अपने आप पर भरोसा करना चाहिए—हमें तो केवल परमेश्वर पर ही विश्वास होना चाहिए।
यीशु द्वारा प्रयुक्त रूपक—एक पहाड़ को समुद्र में फेंकने का आदेश देना—शायद शिष्यों के लिए परिचित था; यह रब्बियों द्वारा दिया जाने वाला एक सामान्य रूपक था, जिसका अर्थ ऐसे किसी काम को पूरा करना था, जो पहले असम्भव प्रतीत होता था।[1] शिष्य यीशु की बातों को इस प्रकार से नहीं समझे थे कि वह सचमुच उन्हें जैतून पहाड़ को मृत सागर में फेंकने का आदेश दे रहा है, जो उनसे 4,000 फीट नीचे था। वे यीशु के शब्दों को एक पारम्परिक कथन के रूप में समझे थे, जो यह दर्शाता था कि परमेश्वर अपने बच्चों के लिए असाधारण काम करना चाहता है।
हम प्रेरितों के काम की पुस्तक में विश्वास और प्रार्थना पर यीशु की शिक्षा के इस सत्य को जीवन्त रूप में देखते हैं। जब एक लंगड़ा भिखारी पतरस और यूहन्ना से पैसे माँगता है, तो पतरस उससे कहता है कि वह उठकर चले (प्रेरितों 3:6)। शायद उस क्षण पतरस यीशु के वचनों को याद कर रहा था और सोच रहा था, “जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो, तो प्रतीति कर लो।”
जब हमारा विश्वास परमेश्वर पर केन्द्रित होता है, तो हम एक साहसी और अद्वितीय विश्वास रख सकते हैं—ऐसा विश्वास जो परमेश्वर के साथ असम्भव को भी सम्भव मानता है। हम जानते हैं कि हम उस परमेश्वर से बात कर रहे हैं जो हमारी सोच और कल्पना से भी कहीं अधिक कार्य करने में सक्षम है (इफिसियों 3:20-21)। यीशु हमसे यही कहते हैं कि मैं चाहता हूँ कि तुम इस तरह प्रार्थना करो, मानो तुम सचमुच एक ऐसे परमेश्वर पर विश्वास करते हो जो न तो कभी गलती करता है, न ही निर्दयी होता है, और न ही इस सृष्टि की शक्तियाँ उसे पराजित कर सकती हैं।
इन वचनों को सैकड़ों शर्तों में मत उलझाएँ। बस उन्हें वहीं रहने दें और उन पर मनन करें। इस सच्चाई का आनन्द लें कि परमेश्वर वह कर सकता है जो आपकी कल्पना से भी परे है। इस वास्तविकता में विश्राम करें कि उसके लिए कोई भी काम असम्भव नहीं है। और फिर . . . प्रार्थना करें!
इफिसियों 3:14-21
◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: एज्रा 6– 8; 2 तीमुथियुस 3
[1] एल्फ्रेड एदेरशेईम, द लाईफ ऐण्ड टाईम्स ऑफ जीज़स द मसायाह (लौंगमैंस, ग्रीन, ऐण्ड कं., 1898), खण्ड. 2, पृ. 376 (पाद टिप्पणी).