6 अक्तूबर : पवित्रशास्त्र की सैद्धान्तिक शिक्षा

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“पवित्रशास्त्र . . . तुझे मसीह पर विश्‍वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिए बुद्धिमान बना सकता है। सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिए लाभदायक है, ताकि परमेश्‍वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिए तत्पर हो जाए।” 2 तीमुथियुस 3:15-17

पवित्रशास्त्र का अधिकार, पर्याप्तता, अचूकता और निष्कपटता परमेश्वर और उसकी कलीसिया के निरन्तर कार्य के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त हैं। जब तक हम सुसमाचार के दिव्य स्रोत के प्रति आश्वस्त नहीं होते, तब तक हम इसे खोए हुए और पीड़ित संसार तक नहीं ले जा सकते। जैसा कि जे. सी. राइल ने लिखा है, यदि मसीहियों के पास बाइबल एक “दिव्य पुस्तक के रूप में नहीं है, जिस पर वे अपनी सैद्धान्तिक शिक्षा और आचरण का आधार बना सकें, तो उनके पास न तो वर्तमान शान्ति या आशा के लिए कोई ठोस आधार होगा और न ही मानवजाति का ध्यान आकर्षित करने का कोई अधिकार होगा।”[1]

पौलुस ने इसी विषय पर तीमुथियुस को याद दिलाया कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।” दूसरे शब्दों में, बाइबल कोई मानव निर्मित ग्रंथ नहीं है, जिसमें दिव्यता का समावेश किया गया हो; बल्कि यह एक दिव्य उपहार है जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों के माध्यम से दिया है। इसकी प्रत्येक पुस्तक, अध्याय, वाक्य और शब्द मूल रूप से परमेश्वर की प्रेरणा से दिए गए हैं।

अन्य मसीही सैद्धान्तिक शिक्षाओं के समान पवित्रशास्त्र की सैद्धान्तिक शिक्षा को समझना भी एक चुनौती हो सकता है। लेकिन किसी बात को समझने में आने वाली कठिनाई उसकी सच्चाई को कम नहीं करती। इसके अलावा, जब पवित्रशास्त्र के सिद्धान्त की बात आती है, तो कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम वस्तुनिष्ठ रूप से देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि बाइबल पूर्ण रूप से एक संगठित और सामंजस्यपूर्ण रचना है। यह तीस से अधिक लेखकों द्वारा लगभग पन्द्रह सौ वर्षों की अवधि में लिखी गई थी, फिर भी वे सभी लेखक एक ही कहानी बताते हैं—इस संसार का वर्णन करना, इसके सृष्टिकर्ता के चरित्र को उजागर करना, मानव हृदय की समस्या को दर्शाना, और परमेश्वर के मेमने के बलिदान के माध्यम से उद्धार के अद्‌भुत मार्ग की ओर संकेत करना—और उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक एक ही कहानी को बताया गया है!

बाइबल समय, संस्कृति, लिंग और बुद्धिमत्ता की सीमाओं को पार कर जाती है। कुछ पुस्तकें किसी विशेष व्यक्ति, युग या स्थान के लिए उपयुक्त हो सकती हैं, लेकिन कोई अन्य पुस्तक ऐसी नहीं है, जो हर दिन और हर युग की चुनौतियों का सामना इतनी पूर्णता से कर सके और जीवन के मूलभूत प्रश्नों का उत्तर दे सके। परमेश्वर के वचन की गहराइयों को सबसे महान बुद्धिजीवी भी पूरी तरह से नहीं समझ सकते, और फिर भी छोटे बच्चे तक इसे पढ़कर इसके सत्य को जान सकते हैं और अपने जीवन को परिवर्तित कर सकते हैं।

पवित्रशास्त्र का अधिकार, पर्याप्तता, अचूकता और निष्कपटता ही वह आधार हैं, जिन पर हमें खड़े रहना है; और इस कार्य को करने के लिए हमारे पास दिव्य सहायता भी उपलब्ध है। जिस पवित्र आत्मा ने परमेश्वर के वचन को प्रेरित किया, वही पवित्र आत्मा उस वचन को प्रकाशित भी करता है और हमें यह विश्वास दिलाता है कि यह परमेश्वर का दिया हुआ वचन है, जिससे हम उसमें विश्वास करें जो देहधारी वचन है। जब आत्मा यह कार्य आपके भीतर करता है, तब आपका विश्वास केवल एक बौद्धिक स्वीकृति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आपको परमेश्वर के वचन को और अधिक जानने और समझने की भूख से भर देता है—उसके लिए जो न केवल इसका लेखक है बल्कि इसका केन्द्र भी है।

  भजन 12

◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: यहेजकेल 40–41; यूहन्ना 18:19-40


[1] बाइबल इंस्पिरेशन: इट्स रियैलिटी एण्ड नेचर (विलियम हण्ट, 1877), पृ. 6.

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