“और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा . . . उसकी परिपूर्णता में से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात् अनुग्रह पर अनुग्रह।” यूहन्ना 1:14, 16
अभिनेता स्टीव मैक्वीन का जीवन अत्यन्त रोचक, यद्यपि कई बार भ्रष्ट और अस्त-व्यस्त रहा। उनका देहान्त 1980 में हुआ, परन्तु इससे पहले कि बीमारी उन्हें अपना ग्रास बना लेती, एक विश्वासयोग्य पास्टर ने उन्हें सुसमाचार सुनाया और उन्होंने नम्र होकर मसीह में विश्वास किया। उनके जीवन-परिवर्तन के बाद, वे नियमित रूप से बाइबल अध्ययन और रविवार की आराधना में भाग लेते रहे, लेकिन बिना किसी सार्वजनिक प्रशंसा के। वे इस सत्य से विस्मित रहते थे कि यद्यपि उनका जीवन तलाकों, व्यसनों और नैतिक पतनों से भरा था, फिर भी परमेश्वर ने उन्हें ऐसा प्रेम दिखाया।
मैक्वीन इस सच्चाई को समझने लगे कि परमेश्वर ने उन्हें “शून्य” बना दिया, ताकि जब वे अपनी शून्यता को पहचानें, तब परमेश्वर उन्हें “कुछ” बना सके। यही कार्य परमेश्वर हमारे साथ भी करता है।
इसमें हम मसीह यीशु की पद्धति का अनुसरण करने के लिए बुलाए गए हैं। अपने जन्म के दिन से ही मसीह ने अपनी शाश्वत अतुल्य महिमा को त्याग दिया, ताकि वह इस पतित और असहाय संसार में हमारे लिए आ सके। वह रथ पर सवार होकर नहीं, परन्तु चरनी में आया; वह राजदण्ड लेकर नहीं, परन्तु एक गौशाला में आया। यीशु जितना स्वर्गिक राजा है, उतना ही वह पृथ्वी पर दास बना।
यह कहना कि उसने अपने आप को “शून्य” कर दिया, यह नहीं दर्शाता कि वह परमेश्वर होना छोड़कर मनुष्य बन गया और फिर से परमेश्वर बन गया। जब हम पढ़ते हैं, “वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया,” तो हमें इस विस्मयकारी विरोधाभास पर मनन करना चाहिए कि हमारे अद्भुत उद्धारकर्ता ने अपने आप को मानवता में उण्डेल दिया, लेकिन अपने ईश्वरत्व को नहीं छोड़ा। वह पूर्णतः परमेश्वर है और पूर्णतः मनुष्य भी!
हमारी सीमित मानवीय बुद्धि कभी-कभी मसीह के ईश्वरत्व पर इतना ध्यान देती है कि हम यह भूल जाते हैं कि वह हमारे समान पूर्णतः मानव था; और कभी-कभी हम उसकी मानवता में इतने खो जाते हैं कि उसका ईश्वरत्व दृष्टि से हमारी ओझल हो जाता है। परन्तु पवित्रशास्त्र मसीह के इन दोनों स्वभावों को पूर्ण सामंजस्य में रखता है: वह मनुष्य के रूप में पाया गया (फिलिप्पियों 2:8), परन्तु वह केवल वही नहीं था जो बाहरी दृष्टि से प्रतीत होता था।
यीशु में वह सामर्थ्य था जो बाहरी रूप से दिखाई नहीं देता था। वह देखने में तो अन्य पुरुषों के समान प्रतीत होता था, परन्तु ऐसा कोई अन्य मनुष्य नहीं है जो आँधी-तूफान के मध्य में नौका में खड़ा होकर समुद्र को शान्त कर दे। केवल परमेश्वर ही लंगड़े को चला सकता है या अन्धे को दृष्टि दे सकता है। केवल वही मनुष्य स्वर्गदूतों की आराधना और सम्पूर्ण सृष्टि की स्तुति का अधिकारी है। फिर भी यीशु ने जब देहधारण किया, तो यह सोचकर नहीं आया कि मुझे इससे क्या लाभ मिलेगा? बल्कि वह इस उद्देश्य के साथ आया कि “मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिए अपना प्राण दे” (मरकुस 10:45)।
उसने सब कुछ छोड़ने और “शून्य” बनने को स्वीकार किया, ताकि अपनी शून्यता को स्वीकार करने वाले लोगों को परमेश्वर “सब कुछ” दे सके। वह देहधारी हुआ ताकि वह सेवा कर सके, और उसने उन सब के लिए दीनता का उत्तम आदर्श प्रस्तुत किया, जो उसका अनुसरण करना चाहते हैं। आज जब आप अपने कार्यों और जिम्मेदारियों में लगें हैं, तो क्या आप यीशु के इस नम्र आदर्श की ओर दृष्टि करेंगे?
फिलिप्पियों 2:1-13
◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: 2 इतिहास 34–36; लूका 11:29-54