“परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।” यूहन्ना 1:12-13
कुछ कलीसियाओं में यह आम बात है कि वे परमेश्वर की सार्वभौमिक पितृत्व और मानवजाति के भाईचारे की बात करते हैं। परन्तु हमें ऐसे दावों की सीमाओं के प्रति सजग रहना चाहिए। यह बात एक अर्थ में सत्य है कि हम सब सृष्टि के भाव से परमेश्वर की सन्तान हैं, परन्तु नया नियम यह भी स्पष्ट करता है कि साथ ही हम “क्रोध की सन्तान” हैं (इफिसियों 2:3)—जो खोए हुए हैं और जिन्हें परमेश्वर के परिवार में ग्रहण किए जाने की आवश्यकता है।
हम स्वाभाविक रूप से परमेश्वर की सन्तान नहीं बनते। यह न तो मानव वंशानुक्रम का परिणाम है, न ही किसी मानवीय प्रयास का। कोई भी जन्म से परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करता—इसीलिए यीशु ने नीकुदेमुस से कहा, जो कि एक धार्मिक पुरुष था और यहूदी वंशावली में निर्दोष था, कि उसे नए सिरे से जन्म लेना अवश्य है (यूहन्ना 3:3)। परमेश्वर की सन्तान बनना एक आत्मिक प्रक्रिया है—ऐसा कार्य जिसे परमेश्वर अपनी दया और अनुग्रह से हमारे लिए करता है।
अपने शारीरिक जन्म के विषय में सोचें। उस पर आपका कोई नियन्त्रण नहीं था। यह आपकी अपनी उपलब्धि नहीं थी। मसीह में नया जन्म भी ऐसा ही है। जब परमेश्वर किसी को नया जन्म देता है, तो जो नया जीवन उत्पन्न होता है वह केवल उसी की प्रभुता के कारण सम्भव होता है। वही हमें अपनी सन्तान बनने का अधिकार देता है।
कहा जाता है कि सम्राट नेपोलियन एक बार अपने घोड़े पर से लगभग गिर ही गया था जब उसने लगाम छोड़ दी ताकि अपने साथ रखे दस्तावेज़ पढ़ सके। जैसे ही घोड़ा बेकाबू हुआ, एक युवा सैनिक ने तुरन्त हस्तक्षेप किया और घोड़े की लगाम थाम ली। नेपोलियन ने उसकी ओर मुड़कर कहा, “धन्यवाद, कप्तान।” सैनिक ने तुरन्त पूछा, “किस टुकड़ी का, श्रीमान?” सम्राट ने उत्तर दिया, “मेरे अंगरक्षकों का।”[1]
क्षणमात्र में उस सैनिक को पदोन्नत कर दिया गया, उसे सेनापति के मुख्यालय में प्रवेश का अधिकार मिल गया और वह सम्राट के अधिकारियों में सम्मिलित हो गया। जब लोगों ने उससे पूछा कि वह वहाँ क्या कर रहा है, तो वह उत्तर दे सकता था: “मैं सम्राट के आदेश से अंगरक्षकों का कप्तान हूँ।”
यदि आपने यीशु को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता ग्रहण किया है, तो आप परमेश्वर की सन्तान हैं। परमेश्वर ने आपके जीवन पर एक नई पहचान की मुहर लगा दी है, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। आप इस महान आश्वासन के साथ जीवन जी सकते हैं कि राजाओं के राजा और आपके उद्धार के सेनापति यीशु ने आपको परमेश्वर की सन्तानों में गिने जाने के योग्य बना दिया है। यही वह महान सत्य है जो अब आपकी पहचान का केन्द्र है—फिर चाहे आप कोई भी हों और आपकी परिस्थिति कोई भी हो। यही वह सत्य है जो आपको हर दिन सिर उठाकर, आत्मविश्वास से जीने में समर्थ बनाता है, यह जानते हुए कि जो भी हो, आप परमेश्वर की सन्तान हैं।
1 यूहन्ना 2:28 – 3:3
पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: 2 इतिहास 32–33; लूका 11:1-28 ◊
[1] जेम्स मोण्ट्गोमेरी बोइस, दि गॉस्पल ऑफ जॉन: ऐन एक्सपोज़िशनल कॉमैण्ट्री (ज़ोण्डरवन, 1975), खण्ड. 1, पृ. 89.