“तब [रूत] चुपचाप गई, और [बोअज़ के] पाँव उघाड़ के लेट गई। आधी रात को वह पुरुष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि उसके पाँवों के पास कोई स्त्री लेटी है!” रूत 3:7-8
मसीही जीवन आरामदायक क्षेत्र में नहीं जीया जाता।
रूत 3 में हम पाते हैं कि रूत ने बड़ा जोखिम उठाया जब वह बोअज़ के पास यह अनुरोध करने गई कि वह उसे अपनी पत्नी के रूप में अपनाए। वह, एक अकेली स्त्री, आधी रात को एक खलिहान में गई जहाँ केवल पुरुष थे, जो अभी-अभी फसल की कटनी के पूरा होने का उत्सव मना कर हटे थे। जब बोअज़ सो गया, तो वह अन्धेरे की आड़ में उसके पास गई और उसके पाँवों पर से चादर हटाई। यदि उसने कोई गलती की होती या पकड़ी गई होती, तो कहना मुश्किल है कि उन पुरुषों ने उसके साथ क्या किया होता या लोग उसकी मंशा के बारे में क्या कहते।
ये घटनाएँ हमारी 21वीं सदी की दृष्टि से अजीब लगती हैं, लेकिन रूत के असामान्य कार्य परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा में उसके सच्चे विश्वास को दर्शाते हैं। परमेश्वर ने अपने व्यवस्था-विधान में यह निर्धारित किया था कि बोअज़ एक निस्तारक-कुटुम्बी के रूप में—एक रक्षक और पालक के रूप में—रूत की सहायता कर सकता है। परमेश्वर ने अपने प्रावधान के अनुसार रूत को बोअज़ के खेत में पहुँचाया, जहाँ उसने रूत पर अनुग्रह किया। रूत की कहानी बार-बार यह दिखाती है कि परमेश्वर कैसे अपने लोगों की भलाई और अपनी महिमा के लिए सभी अनापेक्षित परिस्थितियों पर प्रभुता करता है।
रूत की तरह, हमें भी कभी-कभी जीवन में ऐसे अवसरों का सामना करना पड़ता है, जब हम अपने अगले कदम से आगे कुछ नहीं देख सकते। हममें से अधिकांश लोग तब तक प्रतीक्षा कक्ष में रहना पसन्द करते हैं, जब तक कि सारी बातें स्पष्ट और ज्ञात न हो जाएँ। हम सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं और साथ ही चाहते हैं कि सब कुछ हमारे नियन्त्रण में रहे। लेकिन यदि हम तब तक कभी आगे नहीं बढ़ते जब तक हम ऐसा महसूस न करें, तो हमारा जीवन आध्यात्मिक प्रगति की बहुत कम गवाही देगा और परमेश्वर के अद्भुत कार्यों का बहुत कम साक्षी होगा। गलत दिशा में जाने का डर हमें आगे बढ़ने से पूरी तरह रोक देता है।
जब हम अपने अगले कदम से आगे नहीं देख सकते या जीवन में अनिश्चित समय आता है—और ऐसा समय आएगा!—तो हमें परमेश्वर पर विश्वास करना होगा और उसके वचन की सच्चाई के आधार पर कार्य करना होगा और उसके आत्मा की अगुवाई में भरोसा करना होगा। रूत की योजना न तो सुरक्षित थी और न ही निश्चित, लेकिन उसने आगे बढ़ने का निर्णय लिया क्योंकि वह उस परमेश्वर पर भरोसा करती थी, जिसने बार-बार अपनी विश्वासयोग्यता प्रमाणित की थी।
क्या आपको इस प्रकार सोचना आरम्भ करने की आवश्यकता है? क्या आपको अपने आराम क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर और आगे देखना की आवश्यकता है, जहाँ परमेश्वर आपको बुला रहा है? यदि रूत विश्वास और आज्ञाकारिता से प्रेरित थी, तो आप किससे प्रेरित होते हैं? इस क्षण आपके जीवन में ऐसा क्या है, जो विश्वास को दर्शाता है? हो सकता है कि आपको कोई निर्णय लेना हो, कहीं जाना हो, कोई प्रयास करना हो, या कोई बातचीत करनी हो, जिसके सभी परिणाम आपको ज्ञात न हों, और आप केवल इतना कह सकते हैं, “मुझे बिल्कुल नहीं पता कि यह कैसे होगा, लेकिन यही वह है जिसके लिए परमेश्वर मुझे बुला रहा है।”
इन परिस्थितियों में परमेश्वर का वचन आपको बुद्धि का उपयोग करने और फिर विश्वास में एक-एक कदम करके आगे बढ़ने के लिए बुलाता है, उस पर भरोसा करते हुए जिसने आपके लिए प्राण दिए और जिसने यह प्रतिज्ञा की है, “मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20)। अपने जीवन को अपने आराम क्षेत्र की सुरक्षा में नहीं, बल्कि परमेश्वर के सम्प्रभु हाथों में सौंप दें।
रूत 3
पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: 2 शमूएल 16–18; 1 यूहन्ना 5 ◊