29 अक्तूबर : परमेश्वर की कृपा को दूसरों तक बढ़ाना

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29 अक्तूबर : परमेश्वर की कृपा को दूसरों तक बढ़ाना
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“उसने अपनी सास को बता दिया कि मैंने किसके पास काम किया, और कहा, ‘जिस पुरुष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज़ है।” नाओमी ने अपनी बहू से कहा, “वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करुणा हटाई!’” रूत 2:19-20

आज आप अदृश्य परमेश्वर को दृश्य बना सकते हैं।

जब रूत खेतों में अनाज बीनने के लिए निकली, तो उसे यह कभी नहीं पता था कि परमेश्वर का प्रावधान कितना अद्‌भुत होगा। वह परमेश्वर में शरण में तो आ ही चुकी थी, लेकिन बोअज़ के माध्यम से उसने यह अनुभव किया कि प्रभु उसकी सोच या उसके मांगने से कहीं अधिक करने में सक्षम था।

जब परमेश्वर ने इस्राएल के साथ अपनी वाचा स्थापित की, तो उसने अपनी कृपा का परिचय इस रूप में दिया कि वह “अनाथों और विधवाओं का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है” (व्यवस्थाविवरण 10:18)। उसने अपना व्यवस्था-विधान अपने लोगों को इसलिए नहीं दिया था कि वे कर्मकाण्डवादी बन जाएँ, बल्कि इसलिए कि वे उसके गुणों को प्रदर्शित करें और अपने आज्ञापालन के माध्यम से उसके नाम की महिमा करें। उस व्यवस्था-विधान के एक हिस्से ने कठिनाई में जी रहे लोगों के लिए प्रावधान करने का एक ढांचा प्रदान किया था।

जब बोअज़ ने व्यवस्था-विधान के निर्देश का पालन करते हुए रूत को भोजन करने के लिए आमन्त्रित किया (रूत 2:14), तो उसने यह कृपापूर्वक किया। उसने परमेश्वर की कृपा प्राप्त की थी, और उसे यह एहसास हुआ कि वह इसे दूसरों के साथ साझा कर सकता है। उसने परमेश्वर के आदेशों का पालन करने के लिए सचमुच हाथ-पैर लगाए और इसके परिणामस्वरूप रूत ने परमेश्वर का हृदय और भी अधिक जाना। इसके अतिरिक्त, बोअज़ की कृपा उदारता के साथ जुड़ी हुई थी: उसने रूत को केवल भोजन करने का आमन्त्रण नहीं दिया, बल्कि उसे अपनी फसल काटने वाले मजदूरों के बीच बैठने का स्थान भी दिया। उसने उसे अपनी तृप्ति तक खाने के लिए प्रोत्साहित किया। उसने उसे केवल बाकी बचा हुआ अनाज नहीं, बल्कि गेहूँ के सबसे अच्छे पूलों में से अन्न लेने की अनुमति दी। उसके सामाजिक और जातीय भेदभाव के बावजूद उसने रूत को अलग-थलग नहीं किया, और न ही उसे दूरी पर रखा।

इसके विपरीत, बोअज़ ने परमेश्वर के व्यवस्था-विधान से कहीं अधिक किया। यह उस स्वागत की केवल एक झलक है, जो परमेश्वर मसीह के माध्यम से हमें प्रदान करता है, जब वह हमें अपनी स्वर्गिक मेज़ पर आमन्त्रित करता है। और यह वही प्रस्ताव है जिसे हम सभी मसीहियों को अपने जीवन में प्रदर्शित करना चाहिए। यदि कोई—चाहे वह विधवा हो, गरीब हो, दुखी हो या कड़वाहट से भरा हो—कलीसिया की सभा या किसी मसीही घर में प्रवेश करता है, तो वहाँ उसे विश्वासयोग्य स्वीकृति का अनुभव होना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर की प्रजा उसकी वाचागत देखभाल को अपने जीवन से प्रकट करती है।

दिन के अन्त तक, रूत बोअज़ द्वारा बार-बार दिखाए जा रहे अनुग्रह से अभिभूत हो गई थी। जब वह अपने प्रचुर प्रावधान के साथ घर लौटी, तो नाओमी ने उस उदारता पर आनन्दित होकर उसका वर्णन ख़ेसेद शब्द से किया—जो परमेश्वर की निरन्तर प्रेममय करुणा और दयालु प्रावधान को दर्शाता है। बोअज़ के ख़ेसेद ने रूत और नाओमी के हृदयों को उस परमेश्वर की आराधना करने के लिए प्रेरित किया जो ख़ेसेद में भरपूर है (निर्गमन 34:6-7)।

बोअज़ की कृपा उस अनुग्रहपूर्ण, उदार, और निरन्तर करुणा से प्रवाहित हुई जो उसने स्वयं परमेश्वर से प्राप्त की थी। प्रभु की देखभाल के सह-प्राप्तकर्ता होने के नाते जब हम दूसरों पर ऐसी करुणा दर्शाते हैं, तब वे भी परमेश्वर को जान सकते हैं। अदृश्य परमेश्वर हर पीढ़ी में अपने लोगों की करुणा के माध्यम से दृश्य हो जाता है। आज आप किस पर ऐसी अनुग्रहपूर्ण, उदार, और अप्रत्याशित करुणा प्रकट करेंगे?

रूत 2:14-23

पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: 2 शमूएल 12–13; 1 यूहन्ना 3 ◊

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