24 जुलाई : अधर्मी क्रोध

Alethia4India
Alethia4India
24 जुलाई : अधर्मी क्रोध
Loading
/

“अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर कि तेरे दास ने मुझसे ऐसा-ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहाँ राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया; अतः वह उस बन्दीगृह में रहा।” उत्पत्ति 39:19-20

पोतीपर लोगों को परखने में माहिर था। फिरौन के अधिकारी और गार्ड के कप्तान के रूप में उसके जीवन के अधिकांश समय में कई लोग उसकी अधीनता में रहे होंगे। उसके अनुभव ने उसे यह देखने में सक्षम बनाया कि यूसुफ में कुछ खास बात थी।

यूसुफ अन्य नौकरों जैसा नहीं था; वह सबसे अच्छा नौकर था। पोतीपर के सभी कार्य यूसुफ की देखरेख में समृद्ध हुए थे, और पोतीपर ने सब कुछ उसकी देखरेख में सौंप दिया था—सिर्फ अपनी पत्नी को छोड़कर बाकी सब कुछ।

इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जब पोतीपर की पत्नी ने यूसुफ पर बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाया, तो पोतीपर ने गुस्से और क्रोध में प्रतिक्रिया की। कोई भी सम्मानजनक पति इसी तरीके से प्रतिक्रिया करेगा। इस तरह की सुरक्षा बिल्कुल सही है और हमें पोतीपर से इसी प्रकार की प्रतिक्रिया की अपेक्षा करनी चाहिए।

पोतीपर की गलती उसकी प्रारम्भिक प्रतिक्रिया में नहीं थी, बल्कि यह थी कि उसने यूसुफ के खिलाफ निर्णय सुनाने में बहुत जल्दबाजी की थी। इस बारे में कोई उल्लेख नहीं है कि पोतीपर ने दी गई जानकारी की सही से जाँच की, और न ही उसने अपनी पत्नी के आरोप पर यूसुफ की ईमानदारी के सन्दर्भ में विचार किया। इसके बजाय, पोतीपर ने अपने क्रोध को अपने निर्णय से अधिक प्रभावी होने दिया। क्रोध ने पोतीपर को सत्य और तर्क के प्रति अंधा कर दिया।

साथ ही, पोतीपर अपनी पत्नी के अत्यधिक प्रभाव में भी था। बेशक, हम सभी अपने करीबी साथियों से प्रभावित होते हैं और कई बार यह सहायक भी होता है। लेकिन हमें परमेश्वर के अतिरिक्त अन्य किसी से भी अत्यधिक प्रभावित नहीं होना चाहिए। जब हम निर्णय लेने के समय इस प्रकार के प्रभाव को स्वीकार करते हैं, तो हम न केवल अपने आप को, बल्कि अपने आस-पास के सभी लोगों को भी खतरे में डाल देते हैं। इसके बजाय, हमें “सम्मति देने वालों की बहुतायत” में सुरक्षा और विजय प्राप्त करनी चाहिए (नीतिवचन 11:14; 24:6), जो हमें हर परिस्थिति में परमेश्वर के वचन की बुद्धि की ओर ले चलेंगे। निर्णय और उसके परिणाम जितने बड़े होंगे, हमें उतनी ही अधिक सलाह की और उतनी ही अधिक प्रार्थना की आवश्यकता पड़ेगी।

पोतीपर ने अपने गुस्से में एक निर्णय लिया—और वह निर्णय अन्यायपूर्ण था। अनियन्त्रित क्रोध मन को अंधा कर देता है। एक बार भड़क जाने पर इसे शान्त करना आसान नहीं होता है। लेकिन यहाँ तक कि उन परिस्थितियों में भी जहाँ अन्याय या पाप के प्रति सही प्रतिक्रिया क्रोध हो (और हम उस प्रभु का अनुसरण करते हैं जिसने उचित समय पर क्रोध किया—मरकुस 11:15-18 देखें), तौभी हमें गुस्से को अपनी भावनाओं प्रभावित करने और अपने निर्णयों को निर्देशित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। जल्दी से परमेश्वर से पूछें कि क्या आपके जीवन में मौजूदा क्रोध का कोई स्रोत है, ताकि आप आवश्यकतानुसार पश्चाताप कर सकें, जब बुलाया जाए तो क्षमा कर सकें और बुद्धि और विश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।

गलातियों  5:16-24

◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: भजन 35–36; प्रेरितों 17:1-15

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *