“हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएँ।” भजन संहिता 90:12
अपनी पुस्तक इफ ओनली इट वर ट्रू में मार्क लेवी पाठकों को एक ऐसे बैंक की कल्पना करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो हर सवेरे उनके खाते में 86,400 डॉलर जमा करता है। इस खाते में पिछले दिन की राशि जमा नहीं रखी जाती और जितनी राशि पिछले दिन से बकाया बची होती है वह खाते से हटा ली जाती है। अब आप क्या करेंगे? निस्सन्देह उसमें से आप आखरी सिक्का तक निकाल लेंगे!
फिर वह बताते हैं कि हम सभी के पास वास्तव में ऐसा ही एक बैंक है, जिसे समय कहते हैं। हर सवेरे हमें 86,400 सेकेण्ड दिए जाते हैं। हम वह सारा समय खो देते हैं, जिसे हम बुद्धिमानी से उपयोग करने में विफल हो जाते हैं। इसमें न तो कुछ शेष बचता है और न ही निर्धारित राशि से अधिक मिलता है। हम केवल आज की राशि का ही उपयोग कर सकते हैं और इससे अधिकतम लाभ उठाने की आशा कर सकते हैं।[1]
यद्यपि मसीही लोगों के पास अनन्त जीवन की निश्चित आशा है, फिर भी इस धरती पर हमारा समय सीमित है। इसीलिए भजन संहिता 90 में मूसा हमारे मानव अस्तित्व की संक्षिप्तता और परमेश्वर की अनन्तता के प्रकाश में हमें अपने दिनों को सावधानी से गिनने के लिए स्मरण दिलाता है कि हम बुद्धिमान हो जाएँ।
सम्भवतः हमारी व्यस्त संस्कृति में हम भविष्य के बारे में सोचे बिना वर्तमान समय के सुखों का आनन्द लेने में इतने व्यस्त हो जाएँ कि हम अपनी नश्वरता और पाप के बीच के सम्बन्ध को पहचान ही न पाएँ। यदि हमारे पास मृत्यु का कोई उत्तर नहीं है और हम उससे डरकर भी जीना नहीं चाहते, तो फिर सबसे अच्छा तो यही है कि हम उसको अनदेखा कर दें और ऐसे जिएँ जैसे कि हमारे दिन सीमित हैं ही नहीं।
परन्तु यीशु मसीह के पुनरुत्थान में हमारे पास मृत्यु का उत्तर है और हमें उससे डरने की भी आवश्यकता नहीं है। हमारे जीवन परमेश्वर की ईश्वरीय देखभाल पर भरोसा कर सकते हैं और उसके साक्षी हो सकते हैं जो हमारे अस्तित्व को तत्व, आधार और अर्थ देता है। इस सत्य को हमारे हृदयों और मनों में स्पष्ट रूप से समझाने के लिए हमें परमेश्वर की आवश्यकता है।
समय बीतने के साथ परमेश्वर के आत्मा द्वारा किए जाने वाले आन्तरिक परिवर्तन और अनन्त काल के प्रकाश में अपने समय का उपयोग करने के सतर्क प्रयास ही हमें अपने दिनों को उचित रीति से गिनना सिखाते हैं। और अपने दिनों को उचित रीति से गिनना आरम्भ करने के लिए आज से भला और कोई दिन नहीं है! हम इस समय में एक और पल के लिए भी नहीं रहेंगे। जब आप ऐसे वृद्ध मसीही पुरुषों और स्त्रियों से मिलते हैं, जो गूढ़ बुद्धि का प्रदर्शन करते हैं और अपने जीवन को सन्तोषजनक रीति से बिताते हैं, तो ऐसा उनके द्वारा युवावस्था में की गई प्रतिबद्धताओं के कारण होता है। उनके उदाहरणों के द्वारा हमें सभोपदेशक में दिए गए इस मार्गदर्शन का पालन करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए, “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख, इससे पहले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएँ, जिनमें तू कहे कि ‘मेरा मन इन में नहीं लगता’” (सभोपदेशक 12:1)।
इस जीवन में समय नष्ट करने से बचने के लिए उतना ही दृढ़ रहें, जितना कि अपने बैंक खाते में जमा धन को लुटाने से बचने के लिए रहते हैं। साधारण और महत्त्वहीन लगने वाले क्षणों को संजोएँ और परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपकी आत्मा के लिए और आपके आस-पास के लोगों के लिए कुछ बदलाव लाने में उनका उपयोग करे। इस बात पर ध्यान दें कि हम अपना समय किस प्रकार मसीह के लिए व्यतीत कर रहे हैं।
2 तीमुथियुस 4:1-8