2 अक्तूबर : पुनर्स्थापना की प्रतिज्ञा

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2 अक्तूबर : पुनर्स्थापना की प्रतिज्ञा
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“उसने अपनी इच्छा का भेद उस भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया, जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।” इफिसियों 1:9-10

अपने निबन्ध “ऑन फेयरी स्टोरीज़” में जे. आर. आर. टोल्किन उन कारणों के बारे में लिखते हैं, जिनकी वजह से लोग परीकथाओं की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसी कहानियाँ अक्सर हमारे दैनिक समाचारों के विपरीत होती हैं: जहाँ वास्तविक जीवन में युद्ध, आर्थिक अस्थिरता, महामारी और दिल टूटने की घटनाएँ होती हैं, वहीं परीकथाएँ सुखद अन्त प्रस्तुत करती हैं, जो मानव हृदय की गहरी इच्छाओं को प्रतिबिम्बित करता है। टोल्किन सुझाव देते हैं कि इन इच्छाओं की जड़ में यह तड़प है कि मसीह इस संसार को सही करे—सभी चीज़ों को एक साथ लाए, सब कुछ पुनर्स्थापित करे, और संसार को उतना ही सुन्दर बनाए, जितना यह आदम के विद्रोह से पहले था। क्या आप भी नहीं चाहते कि परमेश्वर सब कुछ ठीक कर दे? क्या आप भी उस सुखद अन्त की लालसा नहीं रखते?

पवित्रशास्त्र में, और हमारे जीवन में भी, हमें बार-बार याद दिलाया जाता है कि हम अभी वहाँ तक नहीं पहुँचे हैं। हम एक पतित संसार में रहते हैं, जहाँ अलगाव, निराशा और विघटन व्याप्त है। पहले आदम ने पाप किया, और मृत्यु और अराजकता उसका परिणाम बनी। लेकिन फिर दूसरा आदम आया ताकि वह पहले आदम द्वारा किए गए काम को सुधार कर सब कुछ पुनर्स्थापित कर सके और वह पूरा कर सके जो कोई और नहीं कर सकता था। परमेश्वर सब कुछ ठीक करेगा। वास्तव में, उसने इसका आरम्भ कर भी दिया है।

पहली शताब्दी की कलीसियाओं को लिखे अपने पत्रों में पौलुस ने उनकी कठिनाइयों को पहचाना और उन्हें कम करके नहीं आँका; लेकिन उसने हमेशा अपने पाठकों को यह याद दिलाया कि एक दिन ऐसा आएगा “जब दुख समाप्त होंगे और पीड़ाएँ मिट जाएँगी,” और हमारी सभी इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी।[1] उसने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे अपनी आँखें परम लक्ष्य पर टिकाए रखें, ताकि वे अपने तत्कालीन संघर्षों का सामना कर सकें।

जो उन्हें तब चाहिए था, वही हमें अब चाहिए। यदि आप केवल उन परिस्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे, जो आपके सामने हैं और परमेश्वर के पुनर्स्थापना की प्रतिज्ञा को अपनी दृष्टि में नहीं लाएँगे, तो आप वास्तव में अपने सामने आने वाली समस्याओं से नहीं निपट पाएँगे। वे आपके नियन्त्रण से बाहर लगने लगेंगी। वे आपको निराश कर देंगी। वे आपकी आशा और आनन्द को छीन लेंगी। चाहे समस्याएँ वैश्विक हों, राष्ट्रीय हों, या व्यक्तिगत, सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप परमेश्वर के वचन पर ध्यान केन्द्रित करें और याद रखें कि परमेश्वर का वचन परमेश्वर की योजना के बारे में क्या कहता है। एक सुखद अन्त होगा। एक समय आएगा जब सब कुछ एक सिद्ध राजा के अधीन एकजुट होगा।

वह क्या है जो आज आपको परेशान कर रहा है? समय के मामलों को पवित्र आत्मा की सहायता के द्वारा एक शाश्वत दृष्टिकोण से देखें और आप उसकी सिद्ध योजना में सुरक्षा प्राप्त करेंगे। आप इस संसार की पूरी कहानी के सभी विवरण अभी नहीं जान सकते, लेकिन आप यह ज़रूर जान सकते हैं कि जो लोग मसीह पर विश्वास रखते हैं, उनके लिए अन्तिम दृश्य एक ऐसा सुखद अन्त लाएगा जिससे अनन्तता का आरम्भ होगा—और यह कोई परीकथा नहीं है।

  यशायाह 65:17-25

◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: यहेजकेल 30–32; यूहन्ना 15


[1] स्टूअर्ट टाऊण्ट, “देयर इज़ ए होप” (2007).

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