20 दिसम्बर : अंगीकार और राहत

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20 दिसम्बर : अंगीकार और राहत
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“दाऊद ने [बतशेबा को]बुलवाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ . . . तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा।” 2 शमूएल 11:27; 12:1

यदि हम अपने पाप को स्वयं ढाँकने की कोशिश करना छोड़ दें, तो परमेश्वर उसे ढाँकने के लिए तैयार रहता है।

दाऊद का बतशेबा के साथ व्यभिचार (या सम्भवतः बलात्कार) का पाप और फिर उस पाप को छिपाने के लिए ऊरिय्याह की हत्या की योजना, एक के ऊपर एक पाप थे। परन्तु ऐसा प्रतीत होता था कि उसकी योजना सफल हो गई थी। दाऊद ने बतशेबा से विवाह कर लिया और सब कुछ सामान्य लगने लगा। एक समय तक धोखे और मौन का वातावरण रहा। दाऊद सोचता था कि उसने सब कुछ सम्भाल लिया था। पाप अक्सर हमें इसी प्रकार धोखा देता है। परन्तु लोग जो हमारे विषय में सोचते हैं और परमेश्वर जो हमारे विषय में जानता है, वे दो भिन्न बातें होती हैं।

परमेश्वर वह जानता था जो लोग नहीं जानते थे। उसने नातान भविष्यद्वक्ता को राजा के पास भेजा। परन्तु नातान सीधे जाकर दाऊद पर दोषारोपण नहीं करता। वह उसे एक कहानी सुनाता है—एक धनी व्यक्ति ने, जिसके पास बहुत सी भेड़ें थीं, एक निर्धन व्यक्ति की एकमात्र भेड़ को छीन लिया। यह कहानी सुनकर दाऊद को उस निर्धन व्यक्ति के प्रति सहानुभूति और उस धनी व्यक्ति पर क्रोध आया। तब नातान ने वह घातक वाक्य कहा: “तू ही वह मनुष्य है!” (2 शमूएल 12:7)

“यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा।” यह छोटा सा वाक्य परम अनुग्रह के शब्दों से भरा है! यहोवा ने अपने सेवक दाऊद को उसके पाप में आराम से बसने नहीं दिया। यद्यपि अपने पाप का सामना करना राजा के लिए कठिन और अप्रिय था, फिर भी परमेश्वर ने नातान को इसलिए भेजा क्योंकि वह दाऊद से प्रेम करता था। परमेश्वर ने दाऊद को वह अनुग्रह दिया जिसकी वह पात्रता नहीं रखता था, और दाऊद ने नातान के वचनों के प्रति नम्रता और पश्चाताप के साथ प्रतिक्रिया दी। क्योंकि परमेश्वर ने हस्तक्षेप किया और दाऊद ने स्वीकार किया, इसलिए यह कहानी अपराध-बोध और निराशा में नहीं, बल्कि उद्धार और अनुग्रह में समाप्त हुई (भजन संहिता 32:5-6 देखें)। डेरिक किडनर लिखते हैं, “नीचे उतरने का हल्कापन और जो अनुग्रह वहाँ मिलता है . . . वह उस कीमत से कहीं अधिक है जो चुकानी पड़ी।”[1]

यह बात हमारे लिए भी उतनी ही सत्य है जितनी दाऊद के लिए थी। हमें डर लग सकता है कि यदि हमने अपने पाप को छिपाना छोड़ दिया, तो हमारी प्रतिष्ठा को क्षति पहुँचेगी। लेकिन यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार के अनैतिकता को जगह दे रहे हैं, तो यह कोई मायने नहीं रखता कि आप उसे दुनिया से कितनी अच्छी तरह छिपा सकते हैं। अन्ततः यह दुनिया कोई महत्त्व नहीं रखती: परमेश्वर आपके हृदय को जानता है। अपनी विश्वासयोग्यता के कारण ही परमेश्वर हमें खोजता है और हमें हमारी अवज्ञा और विद्रोह में शान्ति से बसने नहीं देता। यद्यपि हमारे पास नातान जैसा कोई भविष्यद्वक्ता नहीं है, हमारे पास परमेश्वर का वचन है, जो हमारे सामने खुला है: यह “जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है . . . मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है। सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है” (इब्रानियों 4:12-13)। इसमें इन शब्दों को लिखने वाला भी शामिल है और इन्हें पढ़ने वाला भी शामिल है। परमेश्वर हमारे पापों को उजागर करता है, ताकि हम उन्हें उसके पास ले आएँ और वह अपने पुत्र के लहू से उन्हें ढाँक सके।

अब वह आपको किस बात की ओर इंगित कर रहा है? क्या आप उसके लिए कोई बहाना बना रहे हैं, उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, या छिपा रहे हैं? अब समय है कि आप नीचे उतर आएँ और इसे छिपाना बन्द कर दें। पाप की कीमत जितनी भी हो, क्षमा के लाभ उससे कहीं अधिक हैं।

2 शमूएल 11:1 – 12:25

पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: नहेम्याह 4– 6; लूका 19:28-48 ◊


[1] साम्स 1-72, किडनर क्लासिक कॉमैण्ट्रीज़ (1973; पुनः प्रकाशित आई.वी.पी., 2008), पृ. 151.

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