19 दिसम्बर : भविष्य की महिमा

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19 दिसम्बर : भविष्य की महिमा
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“विश्‍वास ही से यूसुफ ने, जब वह मरने पर था, तो इस्राएल की सन्तान के निकल जाने की चर्चा की, और अपनी हड्डियों के विषय में आज्ञा दी।” इब्रानियों 11:22

उत्पत्ति की पुस्तक यूसुफ की मृत्यु के साथ समाप्त होती है, लेकिन वह कहानी का अन्त नहीं था। बल्कि यह परमेश्वर के प्रावधान और उद्धार की कहानी का आरम्भ था, जो पूरी बाइबल में और आज हमारे जीवनों में भी जारी है।

यूसुफ ने इस पर विशेष ध्यान दिया कि उसकी मृत्यु के बाद उसके अवशेषों के साथ क्या होगा। यह किसी विकृत रुचि के कारण नहीं था, बल्कि यह दिखाने के लिए था कि परमेश्वर ने अतीत में कैसा प्रावधान किया था और भविष्य में छुटकारे की प्रतिज्ञा की थी। उसके अवशेष इस्राएल की भावी पीढ़ियों को उन प्रतिज्ञाओं की ओर इंगित करते थे, जो तब तक पूरी नहीं हुई थीं।

यूसुफ का जीवन कई अद्‌भुत परीक्षाओं और अनुभवों से भरा था—अपने भाइयों द्वारा विश्वासघात किया जाना, पोतीपर की पत्नी द्वारा झूठा आरोप लगाया जाना, फिरौन द्वारा सम्मानित किया जाना, मिस्र की राजसभा में ऊँचा स्थान पाना, अपने परिवार से पुनर्मिलन होना इत्यादि—लेकिन इब्रानियों की पत्री के लेखक ने इनमें से किसी को भी मुख्य रूप में नहीं चुना, बल्कि उसने उसके उस विश्वास को रेखांकित किया जो उसने भविष्य की आशा के लिए रखा था। क्यों? क्योंकि वह विश्वास अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था।

यूसुफ नहीं चाहता था कि उसका परिवार मिस्र में अपनी जड़ें बहुत गहराई तक जमाए। वह जानता था कि प्रतिज्ञात देश आने वाला है। इसलिए उसने कोई भव्य अन्तिम संस्कार नहीं माँगा—केवल यह कहा कि उसके मृत शरीर पर लेप लगाकर मिस्र में एक पेटी में संरक्षित किया जाए (उत्पत्ति 50:22-26)। क्यों? क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके मृत शरीर को दफनाया जाए। वह चाहता था कि उसका शरीर तैयार रहे कि जब समय आए, तब उसे प्रतिज्ञात देश में ले जाया जाए। वह जानता था कि वह पेटी अपने आप में यह स्मारक होगी कि प्रतिज्ञात देश की आशा उतनी ही निश्चित थी, जितनी परमेश्वर की कोई अन्य प्रतिज्ञा। जब भविष्य में कठिन दिन आएँगे—जैसा कि उसने कल्पना भी की होगी—तो वह चाहता था कि आने वाली पीढ़ियाँ उस प्रतिज्ञा की ओर देख सकें। वे उसके अवशेषों की पेटी की ओर देख सकते थे और कह सकते थे: यूसुफ निश्चय जानता था कि हम यहाँ से निकलेंगे। यदि वह निश्चित न होता, तो वह अपनी हड्डियों को इस प्रकार हमारे साथ न रखता।

आज, आपके पास यूसुफ के अवशेषों की पेटी नहीं है—आपके पास एक खाली कब्र है, जो आपको परमेश्वर के पिछले प्रावधान और आपके भविष्य की आशा की याद दिलाती है। मसीह ही “हमारे अतीत की सहायता और आने वाले वर्षों की आशा है।” वही “हमारा शाश्वत निवासस्थान” है।[1] उसी के कारण हम कठिन दिनों में जीवित रह सकते हैं, और अपने अन्तिम दिन में विश्वास के साथ और स्वर्ग की सुनिश्चित आशा के साथ मर सकते हैं, जो हमारा महान प्रतिज्ञात देश है।

  लूका 23:32-43

◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: नहेम्याह 1–3; लूका 19:1-27


[1] आईज़क वॉट्स, “ओ गॉड, आवर हेल्प इन एजेस पास्ट” (1719).

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