6 दिसम्बर : जागते रहना

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6 दिसम्बर : जागते रहना
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“अब तुम्हारे लिए नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुँची है; क्योंकि जिस समय हमने विश्‍वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है . . . जैसा दिन को शोभा देता है, वैसा ही हम सीधी चाल चलें, न कि लीला–क्रीड़ा और पियक्‍कड़पन में, न व्यभिचार और लुचपन में, और न झगड़े और डाह में।” रोमियों 13:11, 13

“लापरवाह बातों से जानें जा सकती हैं”—यह एक प्रसिद्ध अभियान था जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाया गया था। सरकार चाहती थी कि लोग अपने आस-पास के खतरे को लेकर सतर्क रहें: यह जानते हुए कि शत्रु कान लगाए बैठा है और जुबान की जरा-सी चूक भी घातक सिद्ध हो सकती है। इसी प्रकार, प्रेरित पौलुस हमारे मसीही जीवन के लिए भी ऐसी ही एक चेतावनी देता है: लापरवाही जानलेवा हो सकती है।

लापरवाही हमें खतरे के घेरे में ले आती है। बहुत से लोग आत्मिक दृष्टि से एक प्रकार की नैतिक नींद में जी रहे हैं—जागृत और सतर्क रहने के बजाय वे आत्मिक शिथिलता में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इससे हम शत्रु के लिए एक आसान लक्ष्य बन जाते हैं। शुद्धता के जीवन में जागते और सतर्क रहने के इन दो मुख्य कारणों पर ध्यान दें।

पहला, प्रेरित पतरस हमें चेतावनी देता है: “तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए” (1 पतरस 5:8)। आइए खुद को धोखा न दें—पाप एक शिकारी है। शत्रु एक सिंह है। याद करें कि प्रभु ने कैन से क्या कहा था जब वह अपने भाई से क्रोधित था: “पाप द्वार पर छिपा रहता है; और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तुझे उस पर प्रभुता करनी है” (उत्पत्ति 4:7)।

क्या आप जानते हैं कि कौन एक आसान शिकार होता है? एक संगति से दूर रहने वाला मसीही। जब हम आत्मिक संगति से कट जाते हैं, तो हम असुरक्षित और उत्तरदायित्व से मुक्त हो जाते हैं। धर्मी संगति में चलना हमें सचेत और स्थिर बनाता है। हम दिन के बच्चे हैं—अतः हमें अन्धकार की ओर आकर्षित नहीं होना चाहिए, क्योंकि अन्धकार अलगाव और गुमराही को जन्म देता है। शुद्धता के प्रति उत्साह का अर्थ है कि हम ज्योति में चलें और उन लोगों के साथ चलें, जो ज्योति के पुत्र हैं।

दूसरा, हमें जागते और सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अनन्तता हमारी प्रतीक्षा कर रही है। इब्रानियों 11 के नायकों को “विश्वास के वीर” किस कारण कहा गया? क्योंकि वे अपने से परे एक नगर की प्रतीक्षा में थे—एक ऐसा नगर जिसका आधार और रचयिता स्वयं परमेश्वर है (इब्रानियों 11:10)।

मूसा को ही देखें: उसने तात्कालिक सुख-सुविधा के प्रलोभन के आगे हार नहीं मानी। उसने क्षण भर की विलासिता के लिए अपनी आत्मा नहीं बेची। उसने मिस्र के ऐश्वर्य के कारण अपना सेवाकार्य, भविष्य और परिवार नहीं छोड़ा। और इसका कारण क्या था? “उसने मसीह के कारण निन्दित होने को मिस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा, क्योंकि उसकी आँखें फल पाने की ओर लगी थीं” (इब्रानियों 11:26)। मूसा निष्कलंक नहीं था—और हम भी नहीं हैं। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम मसीह के लिए शुद्ध और पवित्र जीवन न जीएँ। क्योंकि हमारी मुक्ति का दिन निकट आता जा रहा है, और हम चाहते हैं कि जब प्रभु यीशु प्रकट हो, तो वह हमें तैयार और चौकस पाए।

आपका अतीत चाहे जैसा भी रहा हो, चाहे हाल ही में आपके कदम लड़खड़ाए हों या निराशाएँ आई हों, अभी भी समय है कि आप जाग जाएँ और सतर्क हो जाएँ। शत्रु तो सोएगा नहीं, लेकिन जागृत रहने वाले का प्रतिफल अनन्त जीवन है। आज ही परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपके हृदय पर शुद्धता के जीवन की प्रतिबद्धता अंकित कर दे, ताकि आप आज सावधानीपूर्वक और सीधा चलें—सिर ऊँचा करके और अपनी दृष्टि उस महिमामय दिन पर केन्द्रित करके, जब आपकी मुक्ति पूर्ण हो जाएगी।

इफिसियों 6:10-20

पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: एस्तेर 1–2; लूका 12:1-31 ◊

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