13 जुलाई :हमारा कर्ज चुका दिया गया है

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13 जुलाई :हमारा कर्ज चुका दिया गया है
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“उसने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों और अपने शरीर की खतनारहित दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया, और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उसे क्रूस पर कीलों से जड़कर सामने से हटा दिया है।” कुलुस्सियों 2:13-14

क्यों ऐसा हुआ कि यीशु मसीह पृथ्वी पर आया, क्रूस पर मरा और मृतकों में से जीवित हुआ? ताकि विश्वास करने वालों के लिए शाश्वत मोक्ष दिया जा सके और उन्हें परमेश्वर के परिवार में गोद लेने का प्रबन्ध किया जा सके। यह ऐसी वास्तविकता है, जिसका कोई और धर्म दावा नहीं कर सकता: परमेश्वर ने स्वयं मनुष्य के पाप का कर्ज़ चुकाया ताकि हम उसकी सन्तान कहला सकें। गीतकार इस भुगतान के अद्‌भुत पहलू को इस प्रकार व्यक्त करता है:

ओ परिपूर्ण मोक्ष, रक्त से खरीदा गया!

प्रत्येक विश्वासी के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा;

सबसे बुरा अपराधी जो सच्चे दिल से विश्वास करता है,

उसी क्षण वह यीशु से माफी प्राप्त करता है। [1]

मसीह के मोक्ष के साथ हमारी मुलाकात वैसी ही है, जैसे “वृद्ध महिला बैट्टी” की कहानी, जो भारी वित्तीय कर्ज़ के कारण गरीबी में जी रही थी। एक दिन, एक मसीही सेवक और उसकी मण्डली ने बैट्टी के जीवन में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया और उसका कर्ज़ चुका दिया। वह सेवक बैट्टी के घर गया और उसके दरवाजे पर खटखटाता रहा—लेकिन गिरफ्तारी के डर से उसने पहले कुछ बार दरवाजे की दस्तक को नजरअंदाज कर दिया। जब वह अन्ततः उसे यह खुशखबरी बता पाया, तो बैट्टी ने उसे देखा और कहा, “जरा सोचिए: मैंने आपके लिए दरवाजा बन्द कर दिया था। मैं डर के मारे आपको अन्दर नहीं आने दे रही थी, और देखिए, आप इतना अच्छा उपहार लेकर आए हैं।”

कभी न कभी, हम सभी इस वृद्ध बैट्टी जैसे रहे हैं। एक समय हम जानते थे कि हम पाप के कर्ज़ में थे। हम पछतावे से दबे हुए थे, हम डरते थे कि लोग हमारे दरवाजे पर दस्तक देंगे और हमारी समस्याओं को दूसरों के सामने खोलकर रख देंगे। सबसे अधिक, हम परमेश्वर से डरते थे, क्योंकि उसके हाथ की दस्तक केवल न्याय का संकेत प्रतीत होती थी। लेकिन फिर हमें यह पता चला कि मसीह में परमेश्वर हमारे जीवन के दरवाजे पर दस्तक देता है ताकि हमें वह न दे जो हमें हमारे कर्ज़ के कारण मिलना चाहिए, बल्कि वह दे जो उसके प्रेम ने जीत लिया है: एक ताज़ा आरम्भ, एक कोरा कागज, एक नई कहानी। हमारा कर्ज़ माफ कर दिया गया, और हमने खुशी से अपने जीवन के दरवाजे को खोला और हमारे उद्धारकर्ता, मित्र, और प्रभु के रूप में उसका स्वागत किया।

एक मसीही होने का अर्थ है भुगतान किए जा चुके कर्ज़ के एहसास में जीना। अब हम पाप और उसके दण्ड के दास नहीं रहे; इसके बजाय हम स्वतन्त्र किए गए हैं और परमेश्वर की सन्तान के रूप में गोद लिए गए हैं। और अब, परमेश्वर के पुत्र और पुत्री के रूप में गोद लिए जाने के कारण ही हमें यह महान विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है कि हम परमेश्वर को हमारे स्वर्गिक पिता के रूप में पुकार सकते हैं और उसे इतना नजदीकी रूप से जान सकते हैं। अब हम अपने कर्ज़ को थामे हुए अपने दरवाजे के पीछे नहीं छिपते, क्योंकि हमने उस स्वतन्त्रता का स्वाद चखा है, जो दस्तक देकर आई और हमने उसे अपने जीवन में स्वीकार किया।

यह जानने से हमें कितनी अद्‌भुत शान्ति मिलती है कि हमारा कर्ज़ माफ कर दिया गया! यह जानने से हमें कितना अद्‌भुत आनन्द मिलता है कि हमारे जीवित परमेश्वर के सामने हमारी स्थिति चिन्तित कर्ज़दारों से बदलकर गोद लिए गए पुत्रों और पुत्रियों की हो गई है। अब प्रश्न यह है: ये सत्य आपके स्वयं को देखने के दृष्टिकोण को और आज आपके सामने रखे कार्य को देखने के दृष्टिकोण को कैसे बदलेंगे?

  गलातियों 4:21 – 5:1

पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: भजन 7–9; प्रेरितों 10:1-23 ◊


[1] फैनी क्रोस्बी, “टू गॉड बी द ग्लोरी” (1875).

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