4 जून : दीपकों के समान चमकना

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4 जून : दीपकों के समान चमकना
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“सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो, ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्‍वर के निष्कलंक सन्तान बने रहो, जिनके बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों के समान दिखाई देते हो।” फिलिप्पियों 2:14-15

मसीह के लहू के द्वारा मुक्त किए गए लोग होने के नाते हमें चमकना है। जो यीशु को जानते हैं, उनमें एक विशेष गौरव होना चाहिए। लेकिन कुड़कुड़ाना हमेशा उस गौरव को छिपा लेता है। यद्यपि यह बच्चों का एक गीत है, तौभी इसके शब्द हमेशा हमारे दिल में गूंजने चाहिएँ:

छोड़ दो अब कुड़कुड़ाने की गली,

और सूरज चौक में आ जाओ,

क्योंकि वहीं यीशु रहता है,

और वहाँ सदा उजियाला रहता है।”

मसीहियों के लिए यह समझना बहुत आवश्यक है कि यीशु के कारण हमें पाप के दोष और मलिनता से शुद्ध कर दिया गया है। मसीह में हमें असाधारण स्वतन्त्रता मिली है, और हमारे भीतर वास करने वाले पवित्र आत्मा के द्वारा हम उथल-पुथल से भरे इस जीवन में और मसीह को अस्वीकार करने वाले इस संसार में स्वतन्त्रता और आशा का अनुभव कर सकते हैं। सुसमाचार केवल हमारे विश्वास का आरम्भिक बिन्दु नहीं है; यह सम्पूर्ण उद्देश्य है। और प्रभु अपनी कृपा में होकर हमें लगातार यह याद दिलाता है कि हम उसकी सन्तान हैं, जिससे हम उसके साथ अपनी जीवन-यात्रा में आगे बढ़ सकें।

मसीह में हमारी स्थिति अडिग और अपरिवर्तनीय है। एक बार जब हम उसके परिवार में गोद ले लिए जाते हैं, तो परमेश्वर हमारे प्राणों को कभी नहीं छोड़ता। हमारे सबसे अच्छे सप्ताह में भी हम परमेश्वर के उतने ही निकट होते हैं, जितने कि अपने सबसे बुरे सप्ताह में, क्योंकि पिता के साथ हमारा सम्बन्ध मसीह की धार्मिकता पर आधारित है, न कि हमारी अपनी धार्मिकता पर। हम परमेश्वर के साथ सही सम्बन्ध में इसलिए नहीं हैं, क्योंकि हमने कुछ किया या हमारे भीतर से कुछ निकला, बल्कि इसलिए क्योंकि यह हमारे लिए किया गया है।

मार्टिन लूथर ने कहा था कि एक अर्थ में, सुसमाचार हमारे बाहर है।[1] यदि हम बार-बार अपने भीतर झांकें कि हम सब कुछ कितना अच्छे से कर रहे हैं, तो हमें लगेगा कि परमेश्वर के सामने हमारी कोई स्थाई स्थिति नहीं है। लेकिन जब हम यह समझ जाते हैं कि परमेश्वर की शाश्वत योजना हमें अपने पुत्र के स्वरूप में ढालने की है, और कि मसीह की आज्ञा का पालन करने की प्रक्रिया हमें उसी स्वरूप में ढालती जाती है, तो हम आत्मा-प्रेरित आनन्द का अनुभव करने लगेंगे, जिसे परमेश्वर अनुग्रहपूर्वक हमें प्रदान करता है। और जब ऐसा होगा, तो हमें शिकायत करने का अवसर बहुत कम मिलेगा!

हमें भय और कांपते हुए अपने उद्धार का कार्य पूरा करना है, क्योंकि परमेश्वर का यही उत्तम कार्य है, जो हमें उसकी प्रसन्नता के लिए और इसी के साथ हमारे आनन्द और सन्तोष के लिए जीने योग्य बनाता है (फिलिप्पियों 2:12-13)। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम सच में चमकने लगते हैं—और दूसरे लोग हमारे द्वारा मसीह को देख सकते हैं। तो फिर, आप किन बातों को लेकर कुड़कुड़ाते हैं? क्या परमेश्वर की सन्तान होने का गौरव आपके लिए ठण्डा पड़ गया है? आज जब आपको यह एहसास हो कि आप शिकायत करने वाले हैं, चाहे अपने मन में या किसी और से, तो उन शब्दों को बदलकर परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता के शब्द बना दें—उन सब बातों के लिए जो प्रभु ने आपके लिए की हैं और कर रहा है। तब आप सच में चमक उठेंगे।

  मत्ती 5:1-16

◊ पूरे वर्ष में सम्पूर्ण बाइबल पढ़ने के लिए: होशे 12–14; मत्ती 20:1-16


[1] “दो प्रकार की धार्मिकता।”

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