20 अप्रैल : सर्वशक्तिमान प्रभु, कोमल चरवाहा

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20 अप्रैल : सर्वशक्तिमान प्रभु, कोमल चरवाहा
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“देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ्य दिखाता हुआ आ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेगा और दूध पिलाने वालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।” यशायाह 40:10-11

संयुक्त राज्य अमेरिका कभी भी सम्प्रभुओं या उनकी सम्प्रभुता के प्रति उत्साही नहीं रहा है। हम ऐसे व्यक्ति को पसन्द करते हैं, जिसे हम एक पद पर वोट देकर चुन सकें और आवश्यकता पड़ने पर उसे पुकार सकें—और जब चाहें तो उसे हटा भी सकें! और यदि हम ईमानदारी से कहें, तो हमारे परमेश्वर के प्रति भी हमारा दृष्टिकोण प्रायः ऐसा ही होता है। हम नियन्त्रण करना पसंद करते हैं, न कि नियन्त्रित होना।

हालाँकि, परमेश्वर को न तो हम अपने नियन्त्रण में रख सकते हैं और न ही उसे अपने स्वरूप में ढाल सकते हैं। वह सर्वशक्तिमान प्रभु है, जिसका अस्तित्व हमारी मानव दुर्बलता और सीमित स्वभाव के ठीक विपरीत है। हम घास और बसन्त के फूलों की तरह हैं, जो मुरझा जाते हैं और झड़ जाते हैं। परमेश्वर के साथ ऐसा नहीं होता, जो सभी कालों से सब कुछ पर शासन और राज्य करता है। यहाँ तक कि उसका वचन भी हमेशा के लिए स्थिर है (यशायाह 40:6-8)।

अपनी सम्प्रभुता में परमेश्वर ने एक अद्‌भुत विजय प्राप्त की है: पाप और मृत्यु पर विजय। अपनी विशाल बुद्धिमत्ता में, वह जो विधाता है, एक मानव रूप में यीशु बनकर आया, उस व्यवस्था-विधान का पालन किया और उसे पूरा किया जो उसने स्वयं दिया था, और फिर पापियों की जगह मरकर हमारे ऋण का भुगतान किया और हमें शाश्वत जीवन दिया। जैसा कि पतरस ने अपने प्रचार में कहा, “उसी को परमेश्‍वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया; क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता” (प्रेरितों 2:24)। यही है उसकी  विजय।

हालाँकि परमेश्वर सर्वशक्तिमान प्रभु है, वह हमारा कोमल चरवाहा भी है। वह अपनी प्रजा के पास ऐसे नहीं आता, जैसे एक कड़क जनरल युद्धभूमि में जाता है; इसके बजाय वह अपनी भेड़ों को अपने पास रखते हुए दया के साथ उनका मार्गदर्शन करता है। जो लोग पहले उदास, पराए और दोषी थे, और मृत्यु के डर में जी रहे थे, वे अब स्वतन्त्र किए गए हैं। विजय-घोष के साथ वह कहता है, “मैंने तेरे उस नाम से, जो तू ने मुझे दिया है उनकी रक्षा की। मैंने उनकी चौकसी की, और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नष्ट नहीं हुआ” (यूहन्ना 17:12)।

हम परमेश्वर की सम्प्रभुता में आनन्दित हो सकते हैं, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान और कोमल है, वह चरवाहा है जो खोई हुई भेड़ों को लाने और अपना उद्देश्य पूरा करने में व्यस्त है। जब वह काम करता है, तो उसकी आवाज़ सुनाई देती है और बहरे सुनने लगते हैं, उसकी रोशनी चमकती है और अंधे देखने लगते हैं। हम इस कोमल चरवाहे के दिल में समेटे गए हैं और यह विश्वास रख सकते हैं कि यह संसार हमारे सर्वशक्तिमान पिता का है।

मसीही जीवन में एक चुनौती यह है कि परमेश्वर के बारे में हमारा दृष्टिकोण इतना बड़ा हो कि हम उसे “प्रभु परमेश्वर” के रूप में जानें, जो “शक्ति के साथ आता है” और जिसके सामने हम श्रद्धा और सम्मान के साथ आते हैं, जो “एक चरवाहे के समान अपनी भेड़ों की चरवाही करेगा” और जिसका अनुसरण हम घनिष्ठ मित्रता में करते हैं। प्रभु यीशु शेर और मेमना दोनों है (प्रकाशितवाक्य 5:5-6)। आपको इनमें से किसे याद रखना और उसके अनुसार जीना सबसे कठिन लगता है? दोनों को याद रखें और आप अपने सम्प्रभु और अपने चरवाहे के रूप में उसका आज्ञापालन करेंगे और उसमें आनन्दित होंगे।

यहेजकेल 34:11-24

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